ट्विंकल शर्मा - - मैं निशब्द हूँ

                                      ट्विंकल  शर्मा  


मैं निशब्द हूं, निशब्द हूं, गुड़ियां मैं निशब्द हूं,
बेबस हूं, मजबूर हूं जो तेरे कतिल को अभी तक फांसी के तख्त तक पंहुचा न सका,
मैं निशब्द हूं, निशब्द हूं, गुड़ियां मैं निशब्द हूं।।

बेबस हूं, मजबूर हूं जो उन चंद लोगों को समझा न सका कि इसको धर्म की चश्मे से न देंखे।
मैं निशब्द हूं, निशब्द हूं, गुड़ियां मैं निशब्द हूं।।

बेबस हूं, मजबूर हूं जो ऐसे देश में रहता हूं जहां की न्याय व्यवस्था कमजोर है।
मैं निशब्द हूं, निशब्द हूं, गुड़ियां मैं निशब्द हूं।।

बेबस हूं, मजबूर हूं जब इस खबर को सुना कि महज कुछ चंद नोट की टुकरों के खातिर वहशियों ने तुम्हे मार डाला।
मैं निशब्द हूं, निशब्द हूं, गुड़ियां मैं निशब्द हूं।।

बेबस हूं, मजबूर हूं जो कुछ नेताओं की राजनीति को समझ न सका, जिनको हमने वोट दिया।
मैं निशब्द हूं, निशब्द हूं, गुड़ियां मैं निशब्द हूं।।

बेबस हूं, मजबूर हूं उन लोगों को देखकर जो बात बात पर मोमबत्ती लेकर चले आते हैं लेकिन वहशियों को नहीं जलाते हैं।
मैं निशब्द हूं, निशब्द हूं, गुड़ियां मैं निशब्द हूं।।

एक बार वहशियों को जलाने की कोशिश तो करों मेरे भाई, फिर न कोई वहशी बचेगा और न कोई कातिल।
मैं निशब्द हूं, निशब्द हूं, गुड़ियां मैं निशब्द हूं।।


पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट
यह उस 2.5 वर्षीय बच्ची ट्विंकल शर्मा की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट है जिसे रमज़ान में एक रोज़ेदार शांतिदूत मुहम्मद जाहिद ने बलात्कार कर मार दिया, उसकी आंखें नोचकर निकाल ली, उसके हाथ पैर काट दिए, उसके गुप्तांगों में चाकू से वार किये, उसका पेट फाड़ दिया, फिर उसके शव को कुत्तों के खाने के लिए फेंक दिया।

यह रिपोर्ट पढ़ने के बाद मुझे विश्वास नहीं हुआ कि कोई मनुष्य इतना विभत्स आचरण भी कर सकता है

जरा इस रिपोर्ट के उन अंशों पर एक दृष्टि डालिये जिन्हें मैंने हरे रंग से हाईलाइट किया है आपको भी उस शांतिदूत जाहिद द्वारा 2.5 वर्षीय ट्विंकल के संग किया गया पैशाचिक आचरण समझ आ जाएगा |


बच्ची के शरीर मे छोटी व् बड़ी आंत मिली ही नहीं

यूरिनरी ब्लैडर मिला ही नहीं

बच्ची के शरीर मे आंखें थी ही नहीं


रमज़ान के महीने में रोज़ेदार मुहम्मद जाहिद ने अपने हिन्दू पड़ोसी की 2.5 वर्षीय बच्ची का बलात्कर किया उसकी आंखें नोचकर निकाल दीं, उसके हाथ पैर काटे फिर उसके गुप्तांगों में चाकू घुसाकर फाड़ा और अपने हाथ से खींचकर उसकी आंतें व् यूरिनरी ब्लैडर व् वेजाइना बाहर निकाल दीं,
फिर बच्ची का पेट चाकू से काटा और उसकी किडनी बाहर निकालकर फेंक दी।





     रेप


पानी के बुलबुले सी एक लड़की थी ॰॰॰॰

होठों पर मुस्कान लिये घर से निकली थी ॰॰॰॰

कि पड़ नजर शैतानों की॰॰॰॰

और डूब गयी नाव इंसानियत की॰॰॰॰

ओढ ली थी काली चादर आसमान ने॰॰॰॰



निर्वस्त्र कर दिया था भारत माँ को आज इस संसार ने॰॰॰॰

चीखें गूँजती रही मासूम सी जान की॰॰॰॰

बन गयी शिकार वो शैतानों के हवस की॰॰॰॰

कहर की अविरल धारा बहती रही॰॰॰॰

और वो ओस की बूंन्दो सी पिघलती रही ॰॰॰॰

जिस्म गलता रहा और तड़पती रही वो॰॰॰॰

आखिर बन ही गयी लाश वो॰॰॰॰



उसकी मृत आँखें जैसे सारा किस्सा बयां करती थी॰॰॰॰

उसके मृत होंठ सिसकते यह कहते थे कि॰॰॰॰

“ यह संसार नहीं दरिंदों का मेला है, नहीं रहना अब मुझे इस दुनिया में ,

यहाँ सिर्फ अपमान मेरा है ।”

“आज रेप मेरा नहीं इस देश का हुआ है, क्योंकि इस देश का कानून , अंधा है।”



उसकी मृत काया मानो चीख—चीख कर एक ही गुहार लगाती हो॰॰॰॰

“ कि तभी आग लगाना इस शरीर को॰॰॰॰

जब सुला दो इन लड़कियों में उन दरिंदों को

और दिला न पाये इंसाफ मुझे, तो सड़ जाने देना इस शरीर को ॰॰॰॰

क्योंकि जल तो गयी थी मैं , उसी दिन को॰॰॰॰

अब क्या जलाओगे तुम इस राख को —

इस राख को ”।







समाज अपना नजरिया कैसे बदल सकता है--

हमे अपनी विचारधारा, सोच और मानसिकता को बदलना होगा। कुदरत ने स्त्री को सिर्फ भोग-विलाश या शोषण के लिए नही बनाया है। उसे भी अच्छा जीवन जीने का हक है जैसे पुरुषो को है। उसके साथ दहेज़, पुत्र को जन्म देने, चारित्रिक संदेश के आधार पर शोषण उत्पीड़न नही करना चाहिये। हमे अपनी सोच बदलनी होगी।

सरकार को चाहिये कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए कठोर कानून बनाये जायें। बलात्कार के कानून को सख्ती से लागू करना चाहिये। आरोपियों को जमानत नही देनी चाहिये। कड़े कानून बनाने चाहिये। हमे महिलाओं की साक्षरता को बढ़ाना होगा।

जब 100% लड़कियाँ, महिलाये साक्षर होंगी तो वो अन्याय होने पर अपनी मदद खुद कर सकती है। पुलिस को चाहिये कि वो ऐसी घटना होने पर फौरन कार्यवाही करे। दोषियों को तुरंत गिरफ्तार करे।


आज क्रंदन कर रहा है।



चारों ओर पसरी असहनीय वेदनाओं के जकड़न में
उलझा है मेरा हृदय
दो राहें पर खड़ा बच्चों की चीत्कार से विचलित
द्रवित है मेरा हृदय।

क्या इतनी हावी हो सकती है वासना

जो हैवानियत बन जाए
क्या निरीह, अबला, लाचार सब पशुता की भेंट चढ़ जाए।

नहीं चाहिए ऐसा समाज मुझे
जहां मानवीयता पल-पल हो तार-तार
जहां पैसे और सत्ता के सुख में डूबे
हाथी हो मदमस्त हजार।

हे ईश्वर! मोम से पिघलते इस हृदय को अब और नहीं चाहिए करुणा
डर है मुझे असंवेदनशीलता के घने अंधेरे में
यह हृदय फिर कठोर न हो जाए।



चलो बदलाव करें -   निष्कर्ष यह है कि महिलाओं के बेहतरीकरण के लिए हम सबको अपनी कुत्सित एवं रूढ़िवादी मानसि‍कता से बाहर निकलना होगा। उन्हें सम्मान के साथ-साथ शिक्षा, व्यवसाय, नौकरी व अन्य सभी स्थानों पर बराबरी देना होगा। गौरतलब है कि भारतीय महिलाओं ने राष्ट्र की प्रगति में अपना अधिकाधिक योगदान देकर राष्ट्र को शिखर पर पहुंचाने हेतु सदैव तत्पर रही हैं। सच पूछो तो नारी शक्ति ही समाजिक धुरी और हम सबकी वास्तविक आधार हैं। महिलाओं के उत्थान के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही नीतियों में पूर्ण सहयोग देकर उसको परिणाम तक पहुंचाना होगा। युगनायक एवं राष्ट्र निर्माता स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था - " जो जाति नारियों का सम्मान करना नहीं जानती, वह न तो अतीत में उन्नति कर सकी, न आगे उन्नति कर सकेगी।" हमें भारतीय सनातन संस्कृति के "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता" धारणा को साकार करते हुए महिलाओं को आगे बढ़नें में सदैव सहयोग करना चाहिए।


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                                                     By -  Ashutosh



ट्विंकल शर्मा - - मैं निशब्द हूँ  ट्विंकल  शर्मा   - - मैं  निशब्द  हूँ Reviewed by Ashutosh on June 13, 2019 Rating: 5

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